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4 Nov 2021 · 1 min read

विश्वास

मैं निराश हो चुका हूँ
अपनी कविताओं में छुपे
भावों के भविष्य से
जिनकी कल्पना
वर्षों पहले की थी मैंने
तुझे अपनाने की कल्पना
तुझे बस पाने की कल्पना

मेरी वह सारी कल्पनायें
बाढ़ में बहते तिनके की तरह
बह गयीं
मेरे हृदय के सागर की
उफनाती लहरों में
और
टूट गया मैं
तथा मेरा विश्वास
रूपी-अरुपी
अनगिनत खुदाओं से
****

सरफ़राज़ अहमद “आसी”

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