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4 Nov 2021 · 1 min read

सम्बन्ध

पश्चताप कर
अपना लिया था
पुनःमेरे बाप ने
मेरी माँ के साथ मुझे भी
और ढो रहा है आजतक
मुझसे अपनी सन्तान के सम्बन्ध का बोझ-

वह नहीं जानता
मैं कौन हूँ ?
मैं क्या हूँ ?
कब आया था मैं ?
उसकी असहाय पत्नी की कोख में-

भूल गया है शायद –
अपनी पत्नी की
वह तलाक़ के बाद
गुज़री भयानक
हलाला की रात

वह जब निर्वाह कर रही थी
मेरे किसी और
सगे बाप के साथ
धर्म के नाम पर
समाज का दिया गया
तलाक़ के बदले
तलाक़ का अभिशाप

मैं आया था
तभी अपनी माँ की
पवित्र कोख में
और माप रहा हूँ
जन्म से अब तक
अपने दोनों पिताओं के मध्य
जायज़ और नाजायज़
सम्बंधों की दूरी
*****
सरफ़राज़ अहमद “आसी”

Language: Hindi
227 Views
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