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4 Nov 2021 · 1 min read

मत कभी मज़हबी कट्टर बनो

बहक़ाबे मे मत कभी मज़हबी कट्टर बनो?
मज़हब हो कोई?पर सब मिल जुलकर रहो.

ईसांनियत हो सबके मज़हबी इल्म़ मे?
तुम भाइचारे की खुशियाँ बिखेरा करो.
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

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