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4 Nov 2021 · 1 min read

कविता- दीप जलाऔ

कविता-दीप जलाऔ

दीप जलाऔ दिल में ऐसे,
हीरे जैसे वे दमके
पूर्णिमा का रात में,
चंदा से फिर चमके।

तन अरु मन की करो सफाई,
आये खुशियां जमके।।
पूजा के तुम थाल सजालो
ध्यान लगा लो रमके।

अनार, फुलझड़ी चकरी,
पटाखे चलाओ जमके।।
गरीबों को मिठाई बांटों,
पुण्य कमा लो झोली भरके।।
***
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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