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24 Oct 2021 · 1 min read

घरवाले भी नहीं पूछते by Vinit Singh Shayar

ऐसा नहीं है सिर्फ जमाना देखता है हैसियत
घर पे पड़े रहो तो घरवाले भी नहीं पूछते

कोई ना रहा जिसको परवाह है आपका
देख लीजिए आप भी इक मर्तबा रुठके

आज जो सामने से उंगलियां उठाया करते हैं
कभी चाहा था मैंने उन लोगो को टुटके

इन बातों को मैंने कभी दिल से ना लगाया
यारों क्या रखा है जीने में घुट घुटके

~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar

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