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24 Oct 2021 · 1 min read

विश्वास

कल अचानक पार्क में
बहुत पुराने साथी से मुलाकात हो गई।
बात जो शुरू हुई तो फिर
पुरानी यादें ताजा करते रात हो गई।।

अगले दिन फिर से
मिलने के वादे के साथ अलविदा कहा।
अधूरी रह गई जो बातें
पूरा करने के वादे के साथ अलविदा कहा।।

रात भर सो न सका
अगले दिन मिलने की वजह से।
क्या वो भी सो ना सका होगा
ऐसा सोचते रहने की वजह से।।

सोचते सोचते यही सब
न जाने कब आंख लग गई।
थोड़ी देर से उठा था आज
उठते ही मिलने की चाहत जग गई।।

तेज कदमों से चलते हुए
सोच रहा था वो आकर चला तो नही गया होगा।
और क्या पता आया भी था
और बिना इंतजार किये चला तो नही गया होगा।।

दूरी कम होते होते
बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
दिल तेजी से धड़कने लगा
मंज़िल करीब आ रही थी।।

में ठिठका नज़रें घुमाई
मिलने वाली जगह पर कोई बैठा था शायद।
पल भर को सुकून मिला
मेरा बिछड़ा हुआ साथी ही बैठा था शायद।।

तेज बढ़ते कदम
नज़दीक जाकर थम गए थे
आज सारी बातें होंगी
मानो समय के पल थम गए थे

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