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24 Oct 2021 · 1 min read

करवा चौथ

अपने प्रियतम से अनुराग का व्रत।
निर्जला रहकर त्याग का व्रत।
चाँद से अपने चाँद के सलामती के लिए,
चाँद के दीदार तक चलता अनवरत।
यह करवा चौथ है ,सुहागिनों का व्रत।

भूखे प्यासे रहती है ,पति की सलामती के लिए।
यह त्याग का उदाहरण है, हर एक आदमी के लिए।
प्यास से व्याकुल हो फिर भी न डिगे पथ।
यह करवा चौथ है ,सुहागिनों का व्रत।

कभी पति ,कभी बेटे ,क़भी परिवार के लिए।
त्याग अनगिनत हैं नारी के ,घरबार के लिए।
त्याग की गिनती कहाँ? ये है अनगिनत।
यह करवा चौथ है , सुहागिनों का व्रत।

मां ,पिता ,भाई ,बहन और घर से दूर होकर।
जीना सीखती है इन सभी का गुरुर होकर।
त्याग की स्थिति हर जगह है यथावत ।
यह करवा चौथ है सुहागिनों का व्रत।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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