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23 Oct 2021 · 1 min read

मजाज़ लखनवी

एक जगह मिलते हैं जब
मोहब्बत और इंकलाब!
तब जाके बनता है कोई
असरारुल हक़ ‘मजाज़’!!
अपने घर को फूंक कर
करनी पड़ती है रोशनी!
आसान नहीं होता देना
अपने वक़्त को आवाज़!!
Shekhar Chandra Mitra

Language: Hindi
217 Views
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