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22 Oct 2021 · 1 min read

चांद, मैं और वो

होठों पर हंसी-सी है!
आंखों में नमी-सी है!!
सबकुछ है वैसे पास मेरे
फिर भी कुछ कमी-सी है!!
वह जिसे-ग़ैर के साथ
जाते हुए तुम-देख रहे!
और क्या कहूं, ऐ चांद
मेरी ज़िंदगी-सी है!!
Shekhar Chandra Mitra

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