कलम

रंग रूप और भिन्न आकार
लिखने का मैं करती काम
छोटी बड़ी और रंग बिरंगी
मीनू मेरा कलम है नाम,
प्राचीन ग्रंथों की बनावट में
मैंने ही तो लिखा था श्री राम
मोर पंख से तब बनी थी मैं
ऋषि मुनि लिखते सुबह और शाम,
नाना प्रकार की लकड़ियों से
पुरातन काल में लेखनी बनी
स्याही की दवात में डूबकर
तख्ती और कागज़ पर ढली,
फिर बदली मैं पिन वाले पैन में
स्याही को अंदर समेट कर चली
धीरे धीरे आया चलन बॉल पैन का
अलग अलग रूपों में पली फली,
विस्तार हुआ अब मेरे अस्तित्व का
नवयुग में तो मेरे अनेकों प्रकार
प्रत्येक वर्ग के लिए विभिन्न स्वरूप
लिखें तब आए सबके चेहरों पर बहार।