Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Oct 2021 · 1 min read

चाँद की चांदनी चमचमाई

चाँद की चांदनी चमचमाई
मौसम ने बदली करवट
फिज़ाओं ने नई दिशा दिखलाई
हवाओं में घुली ठंडक
देने शीतलता की दस्तक
शरद ऋतु आई।

चन्द्रमा की चंचल किरणों ने छिटकी
रोशनी
तेज हुई सुंदर किरणें उजलाई
खूब करके श्रृंगार धरती ने
नूपुर छनकाई

झूम उठे तरु भी मन्द पवन के झोकों से
हवाओं ने तेज बहकर निशा को थपकी
दिलाई
रात्रि हुई गहरी काली भोर ने ली विदाई

आसमान में दिख रही चमकीली सफ़ेद गोलाई
चन्द्र हुआ पूर्ण भद्रा दूर निकल आई
ये अद्भुत स्वर्ण रात्री शरद पूर्णिमा कहलाई
सोलह श्रृंगार करके प्रकृति रूपी अप्सरा धरा पर
चली आई।।

“कविता चौहान”
स्वरचित

Loading...