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20 Oct 2021 · 1 min read

मेरी हसरत - चंद अश'आर

चंद अश’आर –

– ” मेरी हसरत ” –

क़ायनात के हर ज़र्रे से प्यार है ।
चमन को बागबां का इंतज़ार है ।।

ये वतन तो है अमन का मरकज़ ।
फ़िर क्यूँ इंसाँ – इंसाँ में तक़रार है ।।

प्यार बाँटते तो अच्छा होता मगर ।
दिलों में सबके नफ़रतें बेशुमार है ।।

वो तेरा मंदिर , ये मेरी मस्जिद ।
रोक रही मिलने से ,कैसी दीवार है ।।

इंसानियत रो रही हाल पर अपने ।
है अनसुलझी पहेली, इसमें असरार है ।।

सोच रखते सेहतमंद तो सुधरते हालात ।
ज़ेहन ओ क़ल्ब से तो यहां सब बीमार है ।।

“काज़ी” ये फ़ित्ने मिट जायेंगे एक दिन ।
बस इंसाँ को सच्चे इल्म की दरक़ार है ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ” शाइर ”
©काज़ीकीक़लम
28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इक़बाल कालोनी
इंदौर ,जिला – इंदौर ,मध्यप्रदेश

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