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19 Oct 2021 · 1 min read

अक्सर...

यूँ इसकदर अपना किसी को, मानना अच्छा नहीं
लोग अक्सर दिया हुआ, वापस छीन लिया करते हैं…

नेकदिल होकर किसी को, अपनी चाहतें ना देना तुम
लोग अक्सर हर किए का, हिसाब रखा करते हैं…

बेशक मोहब्बत कर, मगर यह सोच लेना गौर से
जान देनेवाले ही अक्सर, जान ले लिया करते हैं…

बेपनाह मोहब्बत का सागर, क्यों लुटाकर आए तुम
लोग अक्सर दरिया के, कतरे तक को गिना करते हैं…

इन बेखौफ आँधियों ने, आज यह बात है सिखलाई
लोग अक्सर आग को, जानकर हवा दिया करते हैं…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’

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