फूर्सत मिले तो सोचना
कुछ गिने-चुने लोगों के पास
इतनी जमीन-जायदाद है क्यों?
मुट्ठी भर लोगों का इस देश में
आखिर सदियों से राज है क्यों?
कभी फूर्सत मिले तो सोचना
अपने दिल पर हाथ रखकर
चंद फ़िरकों का क़सीदा गाती
हमारी हर पाक किताब है क्यों?
Shekhar Chandra Mitra