Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Oct 2021 · 1 min read

आपके पास बचा रहता है सर्वदा, मृत्यु

———————————————————-
आपके पास बचा रहता है सर्वदा, मृत्यु।
खो चुके होते हैं आप जिंदगी ।
मृत्यु जिसे आप जी नहीं पाते,रोते हैं सिर्फ।
जिन्दगी आपको देता है पश्चाताप और अनवरत मृत्यु।
चाही गयी जिन्दगी के अनचाहे पल, दंड है मृत्यु-तुल्य।
सभ्य होने की ऋणात्मकता।
असभ्य होने का धन नहीं होता।
सभ्य हो जाने की कैसी! प्रतिस्पर्द्धा है चतुर्दिक।
पूछ लेना था,दरअसल सभ्यता की परिभाषा।
पैदा होने के पास ही तो खड़ा था स्रष्टा।
किन्तु,पैदा होते ही डर गए आप मृत्यु से।
पूछने लगे रहस्य अमरता का।
क्या बता पाता वह जो स्वयं चक्र है समय का।
कैसे बता पाता लक्षण,जीवन में जय,पराजय का।
मृत्यु का जीवन पल दो पल है।
जीवन हर पल मरता है।
देह का कण पाँच-तत्व में परिवर्तित होकर भी
मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाता।
सारा कुछ इस ब्रह्मांड का अमर है।
पदार्थ या ऊर्जा।
मुक्त मन होता है।
मन को तन पैदा करता है।
मोक्ष मन को मिलता है,उसे ही मिले।
मन के कारण तन को है कष्ट।
तन के कष्ट से मन पथ-भ्रष्ट।
————————————

Loading...