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13 Oct 2021 · 1 min read

सरवाईवल आँफ द फिटेस्ट

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बेवकूफ मत बनाओ
मूर्खतापूर्ण विवेक है यह.
तर्क से बांध लेना
अतार्किक तन्त्र है यह.
सत्य, असत्य का दूसरा पहलू
नहीं ही है कदाचित्.
चलकर कहाँ चला आया है
मनुष्य का आत्महित !
युद्ध,सृष्टि के भी पूर्व की
आकांक्षा का परिवर्तन है.
युद्ध तो वस्तुत: मनोरंजन का
नियोजित प्रदर्शन है.
जय,पराजय पथ है या पाथेय?
हर ईश्वर का पूर्व निर्धारित पाखंड.
हर लक्ष्य का अनुत्तरित उद्धेश्य.
कभी पा न पाया मन को
नियंत्रित करने का चमत्कृत ध्येय.
ईश्वर अनुत्तीर्ण होकर हो गया
अंतर्ध्यान या समाधिस्थ.
सृष्टि का सर्वोत्तम संस्करण यह मानव
मानवता की व्याख्या में सर्वांग अब भी व्यस्त.
सम्पूर्ण अतीत बिलखता हुआ भी
भविष्य के कार्यान्वयन को उद्धत.
मनुष्य सर्वदा पता नहीं किस
भविष्य-निर्धारण हेतु संकल्पित.
कोई किसी को कर सका नही है
किसी काल-चक्र में कभी भी परास्त.
पराजित ऐसा हुआ किया है कि
पराजय में ही रहता रहा है व्याप्त.
प्रधान कर्म है किन्तु,धर्म से आच्छादित
प्रधान धर्म है किन्तु,कर्म से नियंत्रित.
धर्म का मूल मानववादिता का संस्कार
संस्कार का होते होना सुसंस्कृत.
“सरवाईवल आँफ द फिटेस्ट” की अवधारणा
विकृत चिन्ह है प्रदूषित मष्तिष्क का.
भूख और भय से आक्रांत तो सर्वस्व है
सृष्टि का विधान ही सृष्टि के विरुद्ध है.
मष्तिष्क के तन्तुओं का बुनावट व बनावट
तात्विक या यौगिक संयोजन.
मानवता के मुखर अणुओं से कर संशोधित
भर दो तन में स्वयंभू त्रिलोचन.
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