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12 Oct 2021 · 1 min read

अपनों के काफ़िले

शहर की भीड़ में ना जाने कहां चले।
गांव से आए सपने कहीं खो चले।
दिल करता है कि वापिस वहीं चले।
जहां रहते है अपनों के काफ़िले।।

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