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10 Oct 2021 · 1 min read

हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर

हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर
तू इबादत कर तो फरिश्तों की तरह कर

एकमुश्त ना चुका ये कर्ज मुहब्बतों का
थोड़ा थोड़ा अदा,किश्तों की तरह कर

ये मुर्दारी छोड़ जिंदा है जिंदा नजर आ
कुछ तो हरारत सी जीस्तों की तरह कर

गुजरे लोगों के लिये मुस्तकबिल ना गंवा
अब याद उनको गुजिस्तों की तरह कर

अपने बुजुर्गों के नक्शे कदम पर चलकर
नाम उनका रौशन तू पुश्तों की तरह कर
मारूफ आलम

शब्द अर्थ
एकमुश्त-इक्ठा,इक साथ
जीस्त- जिंदगी
गुजिस्ता-गुजरा हुआ

2 Likes · 2 Comments · 297 Views
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