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9 Oct 2021 · 1 min read

विद्याधारी छंद

मापनी ..
222 222 222 222
कारे-कारे गेसू तेरे लूटे चैना,
जागे-जागे नैना,सोई-सोई रैना।

गोरी तेरी भोली बातें ,झूठा वादा।
काली आँखें झूठी आँसू आये ज्यादा।।
पानी की धारा सी ,कष्टों की कारा सी।
प्यारी-प्यारी बातें,तेरी ज्यों पारा सी।।
कानों में गूँजें ,वो मीठी बोली मैना।
जागे जागे नैना ,सोई सोई रैना।।

प्राची से पाती ले,आये मेघा कारे।
संझा बेला धीरे,धीरे आई द्वारे।।
लागे प्यारी तेरी वाणी,हे कल्याणी।
खोजे नैना,खोया मोती ,तू पाषाणी।।
ले आना वो ही पीड़ा ,औ’तीखे बैना।
जागे जागे नैना,सोई सोई रैना।।

सौंपा क्यों,भोली नारी ,जाना वैरागी।
फूलों का गुच्छा था या ,थी मैं रागी ।।
नीली आँखें जागी,कोई पीड़ा भूली।
आती- जाती साँसें जैसे झूला झूली।।
संध्या सी तेरी यादें,वो रातें देना।
जागे जागे….
पाखी

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