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9 Oct 2021 · 1 min read

//... मन का पंछी...//

//…मन का पंछी…//

दिल का भोला,
तन का छोटा
रंगत इसका ,
तितली जैसा है…!

कभी यहां ,
फुदकता रहता
कभी यहां ,
से उड़ जाता है…!

जहां मिला है ,
दाना इसको
वहीं बसेरा ,
कर लेता है…!

आंखें हैं इसकी ,
पानी जैसी
हर रंगों से ,
मिलती है……!

पर इसमें है ,
किसने झांका
आंसू पल- पल ,
ढलती है…!,

बहती है तब ,
झरना लगता
रुकती तब ,
सागर जैसा है…!

उड़ते – उड़ते ,
थक सा जाता
कहीं रुकने का ,
नाम न लेता…!

हर उड़ान पर ,
आंधी है
और मंजिल पाने
की आशा है…!

पर नादान है ,
ये क्या जाने
कि मंजिल ,
मेरा कैसा है…?

कभी आसमान में ,
उड़ता है ,
तो सितारों से ,
दोस्ती करता है…!

फिर सितारों की ,
महफिल में ,
वो खुद को
तन्हा पाता है…!

फिर तन्हाई में ,
चुपके-चुपके
चुपके से ,
रो लेता है…!

जीवन के ,
सफर में ,
अरमां है बस ,
इसकी एक…!

उड़ते-उड़ते ,
मिल जाए ,
इसको कोई ,
शिकारी नेक…!

मन में अपना ,
जाल बिछा कर,
कर ले ,
इसको कब्जे में…!

मेरे मन के पंछी को ,
रख ले इसके ,
पंख कुतरकर
अपने मन के पिंजरे में…!

चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव( छत्तीसगढ)

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