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4 Oct 2021 · 1 min read

मेरे दिल के हुजूर

*** मेरे दिल दे हुजूर (भजन)***
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मेरे दिल दे हुजूर रुसवां हो गए,
दूर नजरां तों हुजूर परां हो गए।

की करां मैं ना वस मेरा चलदा,
वांग भमूड़े फिरां धूड़ विच रुलदा,
असीं अपंग गुरुवां बिनां हो गए।
दूर नजरां तों हुजूर परां हो गए।

दिन – राती जिना दा नां जपया,
जिंदगी विच बहुत कुछ खटया,
साईं सिर दे सी जो हेठां हो गए।
दूर नजरां तो हुजूर परां हो गए।

तन मानस दा है मांस दा टुकड़ा,
हसदा नज़र नही आउँदा मुखड़ा,
साह जीवन दे झट जुदा हो गए।
दूर नजरां तो हुजूर परां हो गए।

शाह रौशन बिन जी के की करना,
मनसीरत हर पल हर रोज़ मरना,
जानों प्यारे सी जो विदा हो गए।
दूर नजरां तो हुजूर परां हो गए।

मेरे दिल दे हुजूर रुसवां हो गए।
दूर नजरां तो हुजूर परां हो गए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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