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4 Oct 2021 · 1 min read

“ दिल कहाँ लगाऊँ “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल“

=================

कहाँ दिल बहलाऊँ ,

बहलता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ ,

लगता नहीं है !!

कहाँ दिल बहलाऊँ ,

बहलता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ ,

लगता नहीं है !!

उसके पास जाने का बहाना हम ढूंढते हैं ,

वे दूर- दूर रहके ही दीदार मेरा करते हैं !

उसके पास जाने का बहाना हम ढूंढते हैं ,

वे दूर- दूर रहके ही दीदार मेरा करते हैं !!

कैसे उसको रिझाऊँ ,

रिझता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ ,

लगता नहीं हैं !!

थक गया हार के इजहार करते रह गया ,

आप अनसुनी कर के पास से गुजर गए !

थक गया हार के इजहार करते रह गया ,

आप अनसुनी कर के पास से गुजर गए !!

कैसे उसको मनाऊँ,

मानता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ ,

लगता नहीं है !!

बातें तो करो शिकबा शिकायत छोड़ दो ,

खता मेरी माफ कर रंजिशें सब तोड़ दो !

बातें तो करो शिकबा शिकायत छोड़ दो ,

खता मेरी माफ कर रंजिशें सब तोड़ दो !!

कैसे उनको बताऊँ ,

मानता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ ,

लगता नहीं है !!

कहाँ दिल बहलाऊँ ,

बहलता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ ,

लगता नहीं है !!

=================

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “

साउंड हैल्थ क्लीनिक

एस 0 पी 0 कॉलेज रोड

दुमका

झारखंड

भारत

04 .10 ॰2021

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