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2 Oct 2021 · 1 min read

मुक्तक

ख़ुशनुमा- सा ख़्वाब सजाने नहीं दिए,
शास्त्री जी को जीवित आने नहीं दिए,
रच दी गहरी साज़िशे सपूत के ख़िलाफ़
जिंदगी का पूरा साथ निभाने नहीं दिए,,

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