Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Oct 2021 · 1 min read

"रह गए यूँही अकेले में "

डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
==============
चुन चुन के तिनकों से ,
हमने घोसला बनाया !
धुप बारिस के थपेड़ों से !!
हमने इसको बचाया ,
अपने जिगर के टुकड़ों !
को सीने में छुपाया !!
ना गम का साया कभी ,
उनके करीब आया !
परवरिश करते रहे ,
चलना भी सिखाया !!
उड़कर गगन चूम लेने ,
की कला को बताया !
अब ऐसे उड़ चले वो ,
खो गए किस मेले में !
हम तो निहारा करते हैं ,
रह गए यूँही अकेले में !!
==================
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड

Loading...