आओ श्याम
श्याम तेरी बंशी के, सब है दीवाने ।
आओ श्याम फिर से धेनु को बचाने।।
गैया मैय्या बैठी है, बीच सड़क खाली,
खाती है कचरा, पूछे नहीं हाली,
कोई नहीं रक्षक, छोड़ी अकुलाने ।
आओ श्याम फिर से धेनु को बचाने।।
श्याम तेरी बंशी—
खेती नहीं जैविक, रसायन बने हैं,
यूरिया उर्वरक के, चलन चले हैं ,
आधुनिकता में लगे संजीवन भूलाने।
आओ श्याम फिर से, नन्दिनी बचाने ।।
श्याम तेरी बंशी —
गलियाँ ही आश्रय, नहीं गौ शाला ,
दुध भी अमृत, फिर घर निकाला,
उद्यम के चक्कर में, गई कत्ल खाने।
आओ श्याम फिर से, कपिला बचाने।।
श्याम तेरी बंशी —
नन्दी भी भटका है, नंदन वन कहाँ है,
गैया को पूजा है, तो सेवक कहाँ है,
भटके तेरे ग्वाल है, आओ कानून बनाने।
आओ श्याम फिर से, कामधेनु बचाने।।
श्याम तेरी बंशी—
(गीतकार- डॉ शिव लहरी)