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30 Sep 2021 · 1 min read

अजी चमचे हैं कुत्तों से भी ज्यादा दुम हिलाते हैं

कभी अध्धा कभी पौवा कभी बोतल पिलाते हैं।
अजी चमचे हैं कुत्तों से भी ज्यादा दूम हिलाते हैं।

गलत है कौन यह मुश्किल हुआ पहचानना अब तो-
सही को झूठ में इतनी सफाई से मिलाते हैं।

बिना चुगली किये पचता नहीं है अन्न का टुकड़ा,
कलह का बीज उग जाता, जहांँ से घूम आते हैं।

कभी नजरों से साहब भी उन्हें हटने नहीं देते,
न जाने कौन सी बूटी-जड़ी लाकर खिलाते हैं।

कदम में लोट जाते हैं, झुकाकर सर खड़े रहते,
खुशामद की नई तरकीब अक्सर आजमाते हैं।

नया मुर्गा फँसा कर के, उसे मजबूर कर देते,
बड़ी निस्वार्थता से बाॅस को रिश्वत दिलाते हैं।

हकीकत से सभी को रूबरू कर सूर्य क्या पाते,
यहाँ जो सत्य कह देता उसी से सब घिनाते हैं।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

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