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30 Sep 2021 · 1 min read

यक़ीन

यक़ीन मानों जब भरोसें की लक़ीर
मिट जाती हैं ।
तो यक़ीनन यक़ीन की वो जंजीर भी
टूट जाती है।।

स्वरचिय
-प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छः ग)

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