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26 Sep 2021 · 1 min read

अज्ञानता

कुछ लोग ठहाका मारकर हंसते हैं,

कि हमने उसे हरा दिया।

लेकिन ! उन्हें नहीं पता कि मैं जहां पहुंचूं,

मेरी मंजिल की सीढ़ी वहीं से शुरू होती है।।

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