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26 Sep 2021 · 1 min read

मुक्तक

कभी हमको मिला करती करारी हार भी तीख़ी
हमेशा हार में ही जीत भी रहती निहित दीखी
वही बस जीतते जग के सभी दु:साध्य द्वन्दों में
जिन्होंने हारकर बाज़ी कलाएँ कुछ नई सीखी।

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