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25 Sep 2021 · 1 min read

सुनो झूठ ! सच विश्व विजेता होगा।

झूठ है की बहुत इतराता है ,
सच के सामने बहुत ऐंठता है ।

हार गया सच झूठ के समक्ष ,
इसी अभिमान में अकड़ता फिरता है ।

दबा दिया सच को मैने ,मिटा दिया उसे ,
इसी खुशी में फूला न वोह समाता है।

परंतु इसे नहीं मालूम ,
सच कितनी देर छुपा रह सकता है !

चीर कर काली घटाओं को ,
सूरज तो फिर भी चमकता है ।है ना !

सच भी मरा नहीं ,घायल जरूर हुआ है ,
परंतु जल्दी ही उठ खड़ा होगा ।

और एक दिन झूठ के आगे प्रकट होगा,
और भी अधिक शक्तिशाली और विकराल रूप ,
धारण करते हुए।

तब झूठ का अभिमान चूर चूर होगा,
और हाथ जोड़ेगा ,पांव पकड़ेगा गिड़गिड़ाता हुआ ।

तब झूठ की निश्चय हार होगी ,
और सच विश्व विजेता होगा ।

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