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24 Sep 2021 · 1 min read

हकीकत…कहानी…कल्पना…हो

ये सर्द रात,
या महफिल तारों की….!

ये रात की कहानी है,
या पूनम की चांद की….!

इसे कुदरत की कहानी कहूं,
या कहानी कहूं इसे आपकी….!

तुम चलो तो जैसे-
दर्द पायल की झंकार उठे….!

तुम हंसो तो जैसे-
मोती बरसा दिए हो बहारों ने….!

ये नदियां-तालाब जैसे-
तुम्हारी आंखें भर आती हो….!

तुम्हारी जुल्फें हवा में,
लहराए बलखाती सी….!

या टेढ़े मेढ़े रास्ते हो,
या कोई जहरीली नागिन हो….!

तुम्हारा बसंत सा नवयौवन,
या कोई ऋषि कन्या हो….!

तुम कोई चमकती चांदनी ,
या आसमां की परी हो….!

लिबास में छुपी ,
तुम्हारी देह की झलक
जब दिखे मुझे तो लगे ,
घटाओं की सरगोशीयों में,
कोई बिजली चमकी हो….!

तुम्हारी खामोशी लगे,
शाम की उदासी हो….!

तुम सजो तो लगो ,
सावन की जवानी हो….!

तुम अनछुई सी चंद्रकिरण,
आईने की प्रतिमा हो….!

कभी-कभी मैं सोचता हूं
तुम जज्बातों की रवानी हो….!

कोई सपना हो तुम
या सच में हकीकत हो….!

या हो आगाध प्रेम में फंसे ,
तुम मेरे मन की कल्पना हो ….!

चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छत्तीसगढ़)

Language: Hindi
1 Like · 679 Views
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