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24 Sep 2021 · 1 min read

जग में रिश्ते हैं अनमोल

मन की गांठें कुछ खोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल

जुबान को कैंची न बना
तंज के तीर न चला
मन को यूं काला ना कर
जहरीला निवाला न कर

सोच-समझकर के बोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल।

प्यार भरा मुस्कुराहट हो
बातों में ना कोई बनावट हो
अक्सर वहां आना -जाना हो
अपनों से मिलने का बहाना हो

जुबान में शहद सा घोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल

दूसरों को यूं जलाया न कर
झूठी शान पर इतराया न कर
शीशा किसी को तोड़ता नहीं
वक्त किसी को छोड़ता नहीं

अपनों को ना यूं तोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल।

नूरफातिमा खातून नूरी
जिला कुशीनगर

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