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23 Sep 2021 · 1 min read

$ग़ज़ल

25- बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222/1222/122

शराफ़त की इबादत कीजिएगा
मुहब्बत से मुहब्बत कीजिएगा/1

दिखाए आइना जो ज़िंदगी को
समझ उस्ताद ख़िदमत कीजिएगा/2

दवा बनके दुवा पाओ यहाँ तुम
ख़ुदी पर यूँ इनायत कीजिएगा/3

रहो बसके दिलों में तुम सभी के
यतीमों की हिफाज़त कीजिएगा/4

हमेशा और में ख़ुद को तलाशो
तज़ुर्बा फिर अदालत कीजिएगा/5

निगाहें आपकी सच कह रहीं हैं
ज़ुबाँ से मत ख़िलाफ़त कीजिएगा/6

इबारत ही इरादा तय करे है
इसे ‘प्रीतम’ नफ़ासत कीजिएगा/7

#आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल

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