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23 Sep 2021 · 1 min read

हजारों गम न आते पास केवल मुस्कुराने से।

गज़ल
1222……1222……1222…..1222

नहीं मिटती हैं जो दुशवारियाँ दम भर मिटाने से।
हजारों गम न आते पास केवल मुस्कुराने से।

न कोई रोक पायेगा तुम्हें अपना बनाने से,
तुम्हारे प्यार के खातिर लड़ेंगे हम जमाने से।

हमारे देश के खातिर जिन्होंने पहनी है वर्दी,
मैं दिल से प्यार करता हूँ वतन के हर दिवाने से,

तुम्हें अपना बनाने को जहाँ से दुश्मनी लेंगे,
तुम्हारा प्यार पा जाऊं न चाहूँ कुछ जमाने से।

तरक्की जो भी हो उस देश मे माने नहीं रखती,
हजारों लोग वंचित हैं जहाँ भरपेट खाने से।

कड़कती धूप में मज़बूर नंगे पाँव चलने को,
भला होगा नहीं उनका बलेट गाड़ी चलाने से।

अडानी और अंबानी से नजरें फेर लो प्रेमी,
किसानों की तरफ देखो भरेगा पेट खाने से।

……✍️ प्रेमी

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