स्वतन्त्रता की बजी रणभेरी
एकता – अखण्डता – समरस भारत
भारतीय जन की स्वप्न निराली
एकता की अंदरूनी शक्ति ही
अदब अगाध अनुयायी
तृण – तप्त – तिमिर – सा
दर्प – दीप्त देवाङ्गना दास्तां जीवन
मनीषी मयूरध्वज मेधाशक्ति महिमा
कनक कवि की अपनी शोहरत
सूरमा स्वावलम्बी का ज्ञान
स्वतन्त्रता की बजी रणभेरी है
अहिंसा ही परमो धर्मः का नारा
शहीदों की आत्महुती अविनाशी
जहाँ उनके चरितार्थं काया
और उनकी शौर्य पद वन्दन में
स्वतन्त्रता का अम्बर छाया था
विहङ्गम जैसी स्वतन्त्र उड़नतश्तरी
हयात का अतुल समादर परितोष
संविधान के गर्वीला गौरव
अशोक चक्र अपना पथ प्रदर्शक
ज्योतिर्मय जीर्णोद्धार तरुवर
अनवरत अटल था विकास का सपना
विरासत सम्पदा की अपनी प्रभा थी
विविध धर्म – संस्कृति – भाषा का समागम
स्वः कीर्तिमान अपना देश भारत