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21 Sep 2021 · 1 min read

पितृ पक्ष

शीर्षक:पितृ पक्ष

पितृ पक्ष अपने संग कई यादें ले आया
भीगी पलकें और यह दिल आज भर आया
निगाहें ढूँढे फ़िर से माँ पापा का साया
ममता के आँचल बिन आज फिर दिल घबराया
कौवों को मुंडेर बुलाया ओर उनको जीभर
हलवा पूरी खूब खिलाया सोचकर कि आप तक ये गया
कांव कांव कर उसने भी चाव से उसको खाया
कुछ कावं कावं कर अपनाआशीर्वचन सुनाया
हे काले कागा मेरा ये पैग़ाम ले जाना मेरे
माँ पापा दादा दादी ओर पितरों को मेरा स्नेह बताना
उनसे कहना भूली नहीं आपकी बिटिया अब भी
उनकी याद आती हैं उनके दुलार की कमी खलती हैं
आज भी उनका अपनापन औरों पे भारी पड़ता हैं
उनके जितना स्नेह कोई और नही कर सकता हैं
नैनों की सिप्पी से आज मेरे बह रही अश्रुधारा
धड़कनों ने हर पल माँ पापा तुझको मैंने पुकारा
छोड़ संसार किया आप दोनों ने मुझसे किनारा
बिन आप दोनों के यह जीवन ना मुझको गवारा
पर नही कर सकती हूँ कुछ भी ईश्वर के आगे मैं हारी
अगले जन्म मिलोगे इस आस लगाए बिटिया तुम्हारी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

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