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21 Sep 2021 · 1 min read

अपना साथ

अपना साथ

तेरी तस्वीर से बात करते करते हमने रात बिताई है
आज ना जाने क्यों मुझे तेरी बहुत याद आई है
यूं तो हरदम ही तुम मेरे हृदय में रहा करती हो
आज ना जाने क्यूं तेरी कमी इन आंखों में नमी लाई है

कल सुबह जब होंगी फिर बातें दो दो तुझसे
हाल ए दिल मेरा ही जब पूछोगी तुम मुझसे
कुछ न कह पाएंगी ये खामोश निगाहें मेरी
दिल का हाल फिर कैसे बयां हो सकेगा मुझसे।

साथ प्रियवर एक दो नहीं सात जन्मों का है अपना
रिश्ता प्रेम पाश में कुछ इस तरह से बंधा है अपना
रात और दिन अब तो मुझको सिर्फ रहता है खयाल तेरा
जीवन भर अब तो रहना है हाथों में हाथ अपना।

संजय श्रीवास्तव

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