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20 Sep 2021 · 1 min read

सुनो तुम नारी हो

सुनो तुम नारी हो
समाज,प्रथा
रीतियां,चलन
और व्यवस्था की मारी हो ।

व्यवस्था के नाम पर,
सामाजिक
पारिवारिक
शैक्षिक स्तर पर न कभी हारी हो ।

तुम्हें देखना है
घर – परिवार
समाज -संसार
फिर भी तुम न किसी की प्यारी हो ।

मुझे लगता है कि
तुम्हें तोड़ना चाहिए
दायरा घर – गांव
परिवार – समाज का जिससे तुम हारी हो ।

कभी कभी तो लगता है
कि तुम बहुत सुंदर
सुशील,सुयोग्य बन
सुशिक्षित समाज की नारी हो ।

अब तो तुमको मिल गया है
अधिकार कहने का
समाज से लेने का
पढ़ने -लिखने की तुम अधिकारी हो ।

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