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20 Sep 2021 · 1 min read

ख्याल तेरा

आज फिर किसी का ख्याल आया है
दर्द फिर मेरी कलम में मुस्कुराया है
नाम नही है उसका मेरे अल्फाज़ में
पर ज़िक्र उसी का समाया है
प्रज्ञा गोयल©®

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