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18 Sep 2021 · 1 min read

कान्हा बनाम द्वारकाधीश

कान्हा बन राधा संग खेली प्रेम की होली
ये बंसी मुई होंठों से छुई गूंजी मीठी बोली

ब्रज की गलियां हों या राधा की सखियां सयानी
कान्हा वो सब हैं तुम्हारे मधुर प्रेम की दीवानी

जिस उंगली पर गोवर्धन उठा उत्पात से बचाया
उस उंगली पर क्यों तुमने सुदर्शन चक्र उठाया

प्रेम छोड़ कर क्यों तुम अर्जुन के सारथी बने
क्यों तुम पांडवों संग कुरुक्षेत्र के साक्षी बने

नही पुकारा एक बार भी राधा गीता के उपदेशों में
नही दिखा फिर प्रेम पुराना कान्हा तेरे संदेशों में

नही कोई मंदिर ऐसा जिसमें संग राधा न हो
राधे कृष्णा राधे कृष्णा बोलो कोई बाधा न हो

वीर कुमार जैन
18 सितंबर 2021

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