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17 Sep 2021 · 1 min read

एक कच्ची मिट्टी का घडा

एक कच्ची मिट्टी का घडा
मुझसे ये कहते हुए रो पड़ा

कि मैं टूट जाउंगा
मुझे विश्वास मैं टुट जाउंगा
उस पक्की मिट्टी के घडे से
बराबर करते हुए
उससे खुद को बेहतर
साबित करने का युद्ध लडते हुए

उसकी आंखों से
अश्रु धारा बहने लगी
और वह अधीर होते हुए
सीसक कर बोला
मैं कहां ये युद्ध लड़ना चाहता हूं
वास्तव में यह युद्ध ही नही है
यह तो मेरा अपना अस्तित्व
बचाने का प्रयास है
मुझे विश्वास है कि मैं नही टुटुंगा

क्योंकि अगर मैं टुट गया
तो खत्म हो जाएगा अस्तित्व
कच्ची मिट्टी के घडों का
लोग यह कहकर नही खरीदेंगे की
कच्चे घडे तो कमजोर होते हैं
ये बहुत जल्दी टुट जाते हैं
और फिर कुम्हार हमें
बनाएगा ही नहीं यह कहकर
ये कच्चे घडे तो बिकते ही नहीं

Language: Hindi
573 Views
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