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16 Sep 2021 · 1 min read

"जब छलता है मानव तो"

जब छलता है मानव तो; प्रकाश जैसी होती है उष्मा
?
अधर तक आकर मिल प्रश्नों से; मौन उत्तर देती है उष्मा।

ये दिव्यरूप सी बालाएं देखो कैसे कुंदन हो जाती हैं

जगमग जगमग शीर्ष पर होकर; हाँ एकांकी कहलाती हैं।

मौन समाधि चुनती जब जिंदा जीवन मिल सांसों से

लौ बन जाती हर ईक की खातिर; खुद जल कर हाँ देती है उष्मा।
?
मुझे तो लगता प्रेम वजह बस ; घृणा नहीं छुती है इनको

खुद में निर्मल भाव को जीती हाँ पावन कर जाती हैं उष्मा।
?
जब छलता है मानव तो………⏳

©दामिनी नारायण सिंह

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