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14 Sep 2021 · 1 min read

मुहब्बत का गम तुम्हें भी छुपाना होगा

मुहब्बत का गम तुम्हें भी छुपाना होगा
शायद तुम्हे जीते जी ही मर जाना होगा

इस मतलबी दुनिया में नहीं कोई अपना
यह जानते भी तुम्हें रिश्ता निभाना होगा

ताउम्र तुम्हे तन्हा ही रहना होगा जहां में
फिर भी अजनबी से दिल लगाना होगा

शिकारी फंसा लेगा तुम्हें अपने जाल में
आजादी के लिए खुद को जगाना होगा

जिस्म के लुटेरे तुम्हारे करीब भी आएंगे
इनके सीने पर तुम्हें खंजर चलाना होगा

———-रवि सिंह भारती———-
Email- rk160163@gmail.com

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