यह गाथा है मेरे प्यारें राजस्थान की
बलिदानों की भूमि है राजस्थान,
कला और संस्कृतियों की भूमि है राजस्थान ।
धरोहरों की भूमि है राजस्थान,
मरुस्थलों की भूमि है राजस्थान ।
बाईस देसी रियासत की भूमि है राजस्थान,
राजाओं और महाराजाओं का भूमि है राजस्थान ।
वाल्मीकि का मरुकान्तार भूमि प्रदेश है राजस्थान,
ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक की भूमि है राजस्थान ।
जॉर्ज थॉमस, कर्नल जेम्स टॉड और विलियम फ्रैंकलिन राजस्थान का नामकरण और परिचय कराया ।
राजस्थानीयादित्य बसंतगढ सिरोही के शिलालेख में उत्कीर्ण साक्ष्यों का समावेशों का परिणाम मिला ।
महाभारत काल में मत्स्य नरेश विराट का आधिपत्य,
जहां पांडवों का अज्ञातवास व्यतीत हुआ ।
सिंधु घाटी सभ्यता की नींव यहीं पड़ी और
यही सर्वप्रथम भील और मीना जनजाति का पदार्पण हुआ ।
जहां रानी पद्मावती, राजकुमारी रत्नावती और रानी दुर्गादास राजपूतनी की बलिदान की गाथा, ।
वहीं भक्त शिरोमणि मीराबाई, वीरांगना रानाबाई और कर्माबाई जैसी भक्ति-धारा के आराधक ।
महाराणा प्रताप और राजा सूरजमल जैसे
योद्धा का शौर्य का डंका था पूरे भारत में ।
वहीं संत संप्रदाय में संत दादू दयाल जी, संत चरणदास जी, संत हरिदास जी और भक्त कवि दुर्लभजी प्रख्यात थे ।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और रणथंभौर एवं सरिस्का जैसी है विरासत विश्व धरोहर की ।
कालीबंगा, गणेश्वर, गिलुण्ड तथा बागोर ताम्र पाषाण कालीन प्राचीन पुरास्थल सभ्यता मिलती हैं ।
पगड़ी, अंगरखा, शेरवानी, च़ुगा, पोतिया,टोपी पायजामा और विरजस है पुरुषों का परिधान ।
वहीं घाघरा, ओढणी, लहरिया, नौदना, रेनसाई, लूंगड़ा, और मोठड़ा है महिलाओं का लिबास ।
भुजिया, दाल बाटी चूरमा, झाजरिया, खोबा रोटी बीकानेरी भुजिया भोजन की अपना मिसाल है ।
कैला देवी, कल्पवृक्ष, धनुष लीला, गुरुड़,
अन्नकूट और जम्भेश्वर आदि मेंलाएं है आस्था का केंद्र ।
सभ्यताओं में कालीबंगा, बागोर, बालाथल, आहड़ और रंग महल जैसे से मानव सभ्यता का विकास हुआ ।
जयपुर, भरतपुर, जोधपुर और सवाई माधोपुर में चित्रों,सिक्कों,पांडुलिपियों और कलाकृतियों से भारतीय विरासतों से परिपूर्ण हैं ।
उत्तर में गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर हैं
वहीं दक्षिण में उदयपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, राजसमंद हैं ।
पूर्व में अजमेर, भरतपुर, अलवर, दौसा, सीकर, करौली हैं,
वहीं पश्चिम में जोधपुर, जालौर, सिरोही, पाली और नागौर हैं।
यहां की भौगोलिक धरोहर अरावली पर्वतमालाएं, हाड़ौती का पठार और पूर्व का मैदान थार मरुस्थल हैं ।
मारवाड़ी, शेखावाटी,हाड़ौती, मेवाड़ी, भीली, पहाड़ी, ढेढ़ाडी यहां भाषाएं विद्यमान हैं ।
अशोककालीन सौराष्ट्री प्राकृत से मिलती हैं राजस्थान की विकासशील की गाथा ।
आंवला, शीशम, सालर, अमलतार, जामुन, अर्जुन आदि से वृक्षाच्छादित हैं राजस्थान ।
वहीं विश्व का सबसे बड़ा सीताराम लालस का राजस्थानी वृहत शब्दकोश का गौरव प्राप्त हुआ ।
वहीं विश्व प्रसिद्ध रणथम्भौर एवं सरिस्का बाघ अभ्यारण यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा हैं ।
आर्थिक दृष्टिकोण से चीनी उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, सीमेंट उद्योग, कांच उद्योग और ऊन उद्योग संपन्न हैं ।
वहीं लौह अयस्क, चूना पत्थर,टंगस्टन, मैग्नीज, जिप्सम,ऐस्बेस्टाॅस आदि से खनिज संपदा में अव्वल हैं ।
चम्बल, लूनी, साबरमती, घग्गर, पार्वती,माही और पश्चिम बनास आदि नदियों का बहाव हैं ।
वहीं है मिलती मानसून में शुष्क एवं अर्ध शुष्क, उप-आर्द्र जलवायु की प्रधानता ।
विश्व का सबसे पुराना वलित पर्वत टर्शिमरी युग की अरावली श्रृंखला राजस्थान की धरोहरों की विलासिता हैं ।
व्यापार और कृषि क्षेत्र में रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाले ऊंट की महत्वपूर्ण योगदानीं हैं ।
लक्ष्मी निवास मित्तल, कुमार मंगलम बिड़ला,राहुल बजाज, किशोरी बिहारी, अजय पिरामल जैसे उद्योगपतियों ने उद्योगों में अपनी परचम लहराया ।
रवि बिश्नोई, दीपक चाहर, लिम्बा राम, प्रिया गुर्जर, गौरव सिंघवी जैसे खिलाड़ियों ने खेल जगत में अपनी पहचान स्थापित की ।
घूमर नृत्य, चंग नृत्य, कालबेलिया नृत्य, तेराताली नृत्य, चरी नृत्य, पनिहारी नृत्यों से राजस्थान हैं अपरम्पार ।
जसनाथी, दादू, लाल देसी, चरण दासी, प्राणनाथी, रामस्नेही और वैष्णव धर्म संप्रदायों से संस्कृतियों का है फैलाव ।
राजस्थान में राजकीय के पक्षी में गोडावण, पुष्प में रोहिड़ा, खेल में बास्केटबॉल, लोक नृत्य में घूमर, शास्त्रीय नृत्य में कत्थक, गीत में केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश, वृक्ष में खेजड़ी से मिलती है संस्कृतियों का परिचय ।
इक्कीस राष्ट्रीय राजमार्गों, डाक सूचक संख्या तीस से चौंतीस और सात प्रमंडल का समायोजन ।
जहां मिलती हैं सौ से ज्यादा पर्यटक स्थलों का सम्मोहन, यहीं गाथाएं हैं मेरे प्यारें राजस्थान की ।