Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
11 Sep 2021 · 1 min read

मन मोहक

मन मोहक तेरी छवि
हर कोई तरसता यही

एकदंत शुभगुणकानन
जय गणेश जय गजानन

नमन करूँ बुद्धि विधाता
जग के हो जय आनंदानन

रिद्धि- सिद्धी के तुम दाता
विघ्न हरण जय जय दाता
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा

Loading...