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11 Sep 2021 · 1 min read

ऐनक

जीने का गुन देती मैया ,
जीवन धन्य बनाती माँ।
अवगुण दूर भगाकर सारे,
मंजिल तक पहुँचाती माँ।

जब कुछ नज़र न आये मुझको,
माँ ऐनक बन जाती है।
अंधकार को चीर के मैया ,
ज्योति सी जल जाती है।

हर मुश्किल को दूर भगाए ,
पल में राह दिखाए माँ ।
शिक्षक बन कर बात बात पर,
अच्छा सबक सिखाये माँ।

शीश उठा कर जिऊँ जहाँ में,
माँ ने मुझे सिखाया है।
दया भाव और त्याग प्रेम का ,
माँ ने पाठ पढ़ाया है ।

सदा रहूँ सेवा में तत्पर ,
अजब अनोखी न्यारी माँ।
सबसे अलग थलग है देखो,
मेरी अपनी प्यारी माँ।

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’

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