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10 Sep 2021 · 1 min read

जिंदगी भर उसे भुला न सके।

गज़ल
2122…….1212……22/112

जिसको दिल में कभी बिठा न सके।
जिंदगी भर …….उसे भुला न सके।

बात है वक्त वक्त ………..की यारो,
नाज नखरे …….कभी उठा न सके।

जिसकी बाहों में …….प्यार से झूला,
प्यार से उसको भी …खिला न सके।

जंग कह लो कि …..जिंदगी कह लो,
हारना मत अगर ………हरा न सके।

मयकशी से कहाँ ……….भला होगा,
इश्क का जाम गर …..पिला न सके।

ढाई आखर पढ़े न ……अब तक जो,
प्रेमी होकर भी ……..प्रेम पा न सके।

……✍️ प्रेमी

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