Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
9 Sep 2021 · 1 min read

राष्ट्रवाद या विवाद

ऋतु पतझड़ सा मौसम
जड़ें कमजोर पड़ गई है
सरकारी संपत्ति छड़ रही
लोग कहते इसे राष्ट्रवाद

कलियुग कहते मान लेते.
लोग संज्ञा शून्य बहुत है.
क्या जाने वेदना अभाव.
बदल गये बिल्कुल सुभाव

खत्म हुए सबओर संवाद
बढ़ने लगे वाद विवाद.
बढ़ गये जीभ के स्वाद.
लोग कहते इसे राष्ट्रवाद.

उन्नत विकास अनायास हुआ
मोहताज फिर भी दो टूक का है
वंचित फिर भी विश्राम नींद
चैन अमन शांति सब वो की वो.

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

Loading...