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6 Sep 2021 · 1 min read

$ग़ज़ल

15- बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून
मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन
वज़्न/मीटर- 2212/1212

रिश्ते सभी निभा सकें
चाहत इन्हें बना सकें//1

दूरी रहे न ग़म रहे
दिल का चमन खिला सकें//2

जितना हमें मिला हुआ
उसकी कदर दिखा सकें//3

रूठे नहीं किसी समय
ख़ुद को यही सिखा सकें//4

राही सभी बनें चलें
बिन थक सफ़र निभा सकें//5

मौसम मिलें खिले बुझे
हँसके खुदी हँसा सकें//6

‘प्रीतम’ जहाँ ख़ुशी मिले
दम से गले लगा सकें//7

आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल

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