Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2021 · 1 min read

मानवीय कर्तव्य

डा. अरुण कुमार शास्त्री / एक अबोध बालक / अरुण अतृप्त

मानवीय कर्तव्य

इश्क और आशिकी को हमें अब मिलाना चाहिए
परचम मोहब्बत का आसमान में लहराना चाहिए //

सूख रहे हैं वन, उपवन और सभी ऐतिहासिक चमन
कोई फरमान तरतीब से मुल्क में लगाना चाहिए //

वो तुमसे खफ़ा है और हम से भी नाराज़ सा लगता है
दर्द उसका आगे बढ के हमें मामूल पर ले आना चाहिए //

चोट लगती है आपसी रिश्तों में तभी बगावत होती है
एहसास को अब समझदारी का वस्त्र पहनाना चाहिए //

उठ कर कोई मज्लूम मिरी महफिल से आखिर जाए क्युं
बात समझो तो वक्त रह्ते हमें उसको अपना लेना चाहिए //

तोड़ कर संकीर्णता की बेडीयाँ कुछ ही लोग निकल पाते हैं
बुला कर लाइए ऐसे लोंगों को हमें उनका सम्मान करना चाहिए //

इश्क और आशिकी को हमें अब मिलाना चाहिए
परचम मोहब्बत का आसमान में लहराना चाहिए //

सूख रहे हैं वन, उपवन और सभी ऐतिहासिक चमन
कोई फरमान तरतीब से मुल्क में लगाना चाहिए //

एक कोशिश ही तो है इस अबोध बालक की छोटी सी चमन में
आइए इस यज्ञ में हम सबको उसका हाँथ बटाना चाहिए //

1 Comment · 274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
Rj Anand Prajapati
बहनें
बहनें
Rashmi Sanjay
मोहब्बत
मोहब्बत
पूर्वार्थ
उन्होंने प्रेम को नही जाना,
उन्होंने प्रेम को नही जाना,
विनय कुमार करुणे
"मित्रता दिवस"
Ajit Kumar "Karn"
राम आयेंगे
राम आयेंगे
Sudhir srivastava
हम सब एक हैं
हम सब एक हैं
surenderpal vaidya
"आजादी के दीवाने"
Dr. Kishan tandon kranti
विचलित
विचलित
Mamta Rani
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
कवि रमेशराज
4233.💐 *पूर्णिका* 💐
4233.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
निकेश कुमार ठाकुर
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
Phool gufran
दो ग़ज़ जमीं अपने वास्ते तलाश रहा हूँ
दो ग़ज़ जमीं अपने वास्ते तलाश रहा हूँ
Shreedhar
यै चांद जरा रुक,
यै चांद जरा रुक,
Brandavan Bairagi
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
ओसमणी साहू 'ओश'
वर्णिक छन्दों का वाचिक प्रयोग
वर्णिक छन्दों का वाचिक प्रयोग
आचार्य ओम नीरव
जिंदगी को खुद से जियों,
जिंदगी को खुद से जियों,
जय लगन कुमार हैप्पी
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
بولنا سب کو أتا ہے
بولنا سب کو أتا ہے
इशरत हिदायत ख़ान
आत्म दीप की थाह
आत्म दीप की थाह
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
कुदरत की संभाल करो ...
कुदरत की संभाल करो ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
लालसा
लालसा
Durgesh Bhatt
सुरक से ना मिले आराम
सुरक से ना मिले आराम
AJAY AMITABH SUMAN
हम तेरा
हम तेरा
Dr fauzia Naseem shad
*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
Ravi Prakash
सौंदर्य मां वसुधा की🙏
सौंदर्य मां वसुधा की🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मेरी कुंडलियाँ ( समीक्षा )
मेरी कुंडलियाँ ( समीक्षा )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जीवन का सत्य
जीवन का सत्य
Ruchi Sharma
Loading...